Tulsi Not Offered to Lord Ganesha: हिन्दू धर्म में भगवान गणेश की पूजा सर्वप्रथम होती है, कोई भी काम की शुरुआत होती है तो पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है, फिर ही नया काम शुरु किया जाता है, इतना ही नहीं जब किसी की शादी होती है तो पहला कार्ड भगवान गणेश को ही अर्पित किया जाता है। गणेश जी को लड्डू और मोदक का भोग लगाते है, लेकिन उनके भोग में कभी तुलसी का उपयोग नहीं किया जाता। इसके पीछे एक बेहद रोचक पौराणिक कथा है।

जानिए गणेश जी को तुलसी क्यो नहीं चढ़ाते?
पौराणिक कथा के अनुसार, कहा जाता है कि एक बार भगवान गणेश जी गंगा की तट के किनारें गहरी तपस्या में लीन थे। उसी समय तुलसी माता वहां से गुजर रहीं थी तभी उनकी नजर गणपति बप्पा पर पड़ी। और माता तुलसी गणपति के स्वरुप पर मोहित हो गई।
तुलसी ने जताई विवाह की इच्छा…
माता तुलसी भगवान गणेश के रुप पर मोहित हो गई और उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया। लेकिन गणेश जी उस समय ब्रम्हचर्य का पालन कर रहें थे तो उहोंने विवाह करने से मना कर दिया। लेकिन इस बात से माता तुलसी बेहद क्रोधित हो गईं।

श्राप का सिलासिला…
माता तुलसी ने भगवान गणेश जी को श्राप दिया कि उनकी दो शादी होगी। इस बात से भगवान गणेश काफी क्रोधित हो गए और उन्होंने माता तुलसी को श्राप दिया कि उनका विवाह शंखचूर्ण असुर से होगा। और तुम एक पौधे के रुप में पृथ्वी पर अवतरित होगी। तभी से तुलसी का इस्तेमाल गणेशजी की पूजा में नहीं किया जाता।
कथा के अनुसार बताया गया कि- गणेश जी ने यह भी कहा कि मेरी पूजा में तुलसी को चढ़ाना अशुभ माना जाएगा।
तुलसी के श्राप की वजह से हुई गणपति की 2 शादी…
माता तुलसी के श्राप की वजह से ही गणपति बप्पा के दो विवाह हुए और उनकी दो पत्नियां मानी जाती हैं एक रिद्धी और दूसरी सिद्धी।

तुलसी माता को हुआ गलती का अहसास…
बाद में माता को गलती का अहसास होता है और वो भगवान से माफी मांगी, जिसके बाद गणपति बप्पा ने कहा कि विवाह असुर से होगा लेकिन आप भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की प्रिय होगी। साथ ही कलयुग में मोक्ष देने वाली होगी। और लोग उनकी पूजा भी करेंगे।
तभी से श्रीकृष्ण को माता तुलसी अत्यंत प्रिय हैं, जब भी भगवान कृष्ण की पूजा करते है तो उनके भोग में तुलसी की पत्तियां जरुर रखते हैं, बिना तुलसी के उनका भोग अधूरा माना जाता है।