Sabulal Jain: हाथों में तिरंगा थामें सागर के साबूलाल जैन ने सीने पर खाई गोली… भारत छोड़ो आदोंलन में मातृभूमि पर लुटाए अपने प्राण…
Sabulal Jain: हमारे देश को आजाद कराने में लाखों क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान दिया है… ऐसा ही एक नाम मप्र के सागर जिले के गढ़ाकोटा शहर के साबूलाल जैन का आता है. बताते हैं कि महज 19 वर्ष की उम्र में भारत छोड़ो आंदोलन के समय स्थानीय थाने पर तिरंगा फहराने को कोशिश में साबूलाल जैन पर पुलिस ने गोली चला दी और उनकी मौत हो गई।
इतिहासकारों की माने तो भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत से ही क्रांतिकारियों का जोश और जज्बा टॉप पर था… हर कोई अंग्रेजों को भारत से भगाना चाहता था… 9 अगस्त को शुरू हुआ और साथ ही भारत छोड़ो आंदोलन 22 अगस्त तक चरम पर था ऐसे में गढ़ाकोटा में कई आजादी के दीवाने एक साथ इक्टठा हुए और स्थानीय थाने पर झंडा फहराने पहुंच गए…
जैसे ही देश के ये दीवाने एक साथ झंडा फहराने के लिए चले तभी पुलिस ने लाठी चार्ज शुरू कर दिया… लेकिन साबूलाल थाने पर तिरंगा फहराने की कोशिश में पुलिस की गोली का शिकार हो गए।

Sabulal Jain: यूनियन जैक का झंडा की जगह तिरंगा फहराने की कोशिश
जैसा कि पूरे देश में 9 अगस्त 1942 को शुरू हुए भारत छोड़ो आंदोलन ने जोर पकड़ लिया था… स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अंग्रेजों को भारत से भगाने या यू कहें खदेड़ने के लिए हर दिन आंदोलन कर रहे थे. सागर जिले के गढ़ाकोटा कस्बे में भी भारत छोड़ो आंदोलन जोर पकड़ चुका था. ऐसे में एक युवा जो कि महज 19 वर्ष का था, जिनका जन्म 5 अगस्त 1923 को सुक्के जैन के यहां हुआ था…
जिसका नाम रखा गया साबूलाल जैन. आजादी के संघर्ष के बीच जवानी की दहलीज पर पहुंचे साबूलाल जैन को देशभक्ति का ऐसा जजबा था कि 22 अगस्त 1942 को गढ़ाकोटा में भारी संख्या में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक हुए और गढाकोटा के थाने पर तिरंगा फहराने का संकल्प लिया।

Sabulal Jain: जानिए साबूलाल जैन कैसे हुए शहीद…
गढ़ाकोटा के मेन मार्केट में सभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक हुए और सुनार नदी के पार बने थाने पर तिरंगा फहराने का फैसला हुआ… जितने सेनानी थे सब ने आजादी के गीतों के साथ ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ नारे लगाते हुए थाने पहुंच गए…
थाने पहुंचते पहुंचते भारी भीड़ इक्टठा हो गई. थाने में मौजूद पुलिस ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर लाठीचार्ज शुरू कर दिया…चूंकि साबूलाल जैन युवा थे और वो थाने पर तिरंगा लहराते हुए फहराने की कोशिश करने लगे, तभी पुलिस ने गोली चला दी, गोली लगते ही साबूलाल जैन जमीन पर गिर गए…
तभी उन्हें तत्काल इलाज के लिए सागर लाया गया,लेकिन साबूलाल जैन ने दम तोड़ दिया।
शहीद साबूलाल जैन के परिजन अरूण जैन बताते हैं कि मेरे पिता जी ने बताया था कि भारत छोड़ो आंदोलन क जुलूस में कई लोग इकट्ठा होकर पुलिस थाने पर तिरंगा फहराने के लिए गए थे… साबूलाल जैन पुलिस की लाठियों की परवाह किए बिना झंडा फहराने के लिए गए थे… साबूलाल जैन पुलिस की लाठियों की परवाह किए बिना झंडा फहराने चढ़ने लगे, तो पुलिस ने गोली चला दी।
इतिहासकार की नजर से…

Sabulal Jain: इतिहासकार भरत शुक्ला बताते हैं कि शहीद साबूलाल जैन गढ़ाकोटा में भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे…. साबूलाल जैन और उनके साथी 22 अगस्त 1942 को गढ़ाकोटा के थाने में तिरंगा फहराने की कोशिश कर रहे थे उसी दौरान पुलिस की गोलीबारी में साबूलाल जैन शहीद हो गए थे…
ये हमारे सागर जिले की गर्व की बात है कि देश की आजादी और भारत छोड़ो आंदोलन में हमारे यहां के जवानों ने शहादत दी थी।
शहीद की शहादत को भूल गए
Sabulal Jain: सोचिए महज 19 साल की उम्र में तिरंगा फहराते हुए शहीद हुए साबूलाल जैन की शहादत को जिम्मेदार भूल गए… आज उनके नाम पर स्कूल और मार्केट तो बना दिए गए हैं… वहीं आजादी के पर्वों पर उनकी शहादत को याद करने की रस्मआदायगी भी की जाती है…. लेकिन उनका परिवार आजाद भारत में किस हाल में है ये कल्पना के परे है…
जिसने भरी जवानी में भारत के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए जो गुलामी की जंजीरें तोड़कर प्रगति के पथ पर बढ़े… आज साबूलाल जैन के परिजन साइकिल की दुकान चला रहे हैं और पंचर बनाकर जीवन यापन कर रहे हैं. यहां तक की जब कोई बड़ी परेशानी शहीद के परिवार में आती है तो कोई साथ देने को तैयार नहीं है।