Raisen Fort: समशान में ददकाती चिताये और कब्रिस्तान में दफ़नाते मुर्दे और इसी के बीच ऊपर सीना ताने खड़ा यह रहस्याओं से भरा क़िला जहां की प्राचीन दीवारें खुद बताती हैं सालो पुराना रहस्य ये डरवाने रास्ते और घूरती बाबरी का और दुश्मनों की ओर निशाने ताने यह टोपे ना जाने कितने इतिहास कहती हैं…एक तरफ़ मंदिर तो दूसरी तरफ दरगाह दोनों ताले में बंद और आस्था से भरपूर जहां शिवलिंग पर छड़ा जल या दरगाह में लगे यह उम्मीद के धागे वो भी शायद पुराना इतिहास बता रहे हैं…

चलिए आपको बताते हैं किले का रहस्य…..
Raisen Fort:भारत के दिल यानी की मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में हैं… ये राजा राज सेन का किला चारों तरफ सुंदर पहाड़ो से घिरा हुआ… ये किला एक ख़ूबसूरत धरोहर हैं जहाँ शिव मंदिर में लगे यह स्तंभ पर उबरी यह आकृतियाँ जैसे शिव को नाग नमन कर रहे हों और यह कई उभरती आकृतियों के बीच बिराजमान शिवलिंग जो शायद पुराने समय में ऐसा दिखता होगा लेकिन आज इसका ताला सिर्फ साल में एक दिन खुलता हैं वो भी शिवरात्रि पर ताकीं पुरानी धरोहर को लोग बिगाड़े न वरना आज के जल और दूध से शिवलिंग का वो पुराना स्वरूप भी ढल सकता हैं खैर आगे ये सुंदर से बावड़ी जो शायद पहले ऐसी दिखती हो और किले के ये बड़े बड़े गेट जो फ़िल्मों में देखे जाते हैं शायद आज सजाए जाते होंगे पहले की जमाने में यह राजा और रानी का महल यह टोपे जो कि आज भी पुराना इतिहास बताती हैं ना जाने कितने युद्ध जीते होंगे इन तोपो ने ना जाने कितनी सलामी दी होंगी अपने राजा को आज भी यथावत हैं

क़िले का इतिहास
ये कुछ दशक पुरानी बात हैं जब इस क़िले पर राजा राज सेन का राज हुआ करता था और सुन्दर क़िला उन्ही की देन हैं इतिहास की बात करे तो..मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में स्थित रायसेन किला न सिर्फ ऐतिहासिक दृष्टि से, बल्कि रहस्यमय कथाओं के कारण भी अत्यंत प्रसिद्ध है। यह किला 11वीं से 12वीं शताब्दी के बीच परमार राजवंश के राजा राय पिथौरा द्वारा बनवाया गया था। पहाड़ी पर बने इस किले की भौगोलिक बनावट इसे स्वाभाविक रूप से मजबूती देती है
इस पर इतिहासकारों का कहना है की रायसेन किला मध्यकालीन ग्वालियर साम्राज्य के दौरान एक प्रमुख सैन्य और प्रशासनिक केंद्र था। 16वीं शताब्दी में मालवा के सुल्तान बाज बहादुर ने इस पर शासन किया, जिसके बाद में मुगल सम्राट अकबर और शेरशाह सूरी ने भी इस किले पर कब्जा जमाया।
रानी दुर्गावती ने 700 राजपूत महिलाओं के साथ किया था जौहर

Raisen Fort: वहीं किले के इतिहास में एक और मार्मिक घटना राजा पूरणमल और रानी दुर्गावती की है। रानी दुर्गावती, जो कि एक राजपूत शासक थीं, ने अपने पति पूरणमल के साथ मिलकर किले की रक्षा की। लेकिन 1532 में, गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने धोखे से राजा पूरणमल को कैद कर लिया और रायसेन किले पर हमला कर दिया. जब किले पर हारना तय हो गया था… तो घेराबंदी के दौरान, रानी दुर्गावती ने 700 राजपूत महिलाओं के साथ जौहर किया,. यह घटना रायसेन के किले के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी… और इसे वीरता और बलिदान की कहानी के रूप में याद किया जाता है.
पारस पत्थर का रहस्य
अब बात करते है.. एसे पत्थर के बारे में जो किसी भी धातु को छु ले तो सोना बना देती है… हम बात कर रहे है… पारस पत्थर की…. इस किले में एक रहस्यमयी पत्थर था जिसे छूते ही धातु सोने में बदल जाती थी।लेकिन कहा जाता है की राजा ने इस पत्थर को पास के तालाब में फेक दिया.. जिसके बाद कई लोगों ने पत्थर को ढुंढने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे… और आज भी पत्थर की कोई खोज नहीं कर पाया… इस कहानी ने किले को एक रहस्यमय पहचान दी है। यह भी माना जाता है कि इस पत्थर की रक्षा के लिए किले में जिन्न रहते हैं… और अब तक यह पत्थर किसी के हाथ नहीं लगा।
Raisen Fort: किले के अंदर है मंदिर और मस्जिद….

किले में प्रवेश के लिए 9 दरवाजे हैं और इसके भीतर बादल महल, राजा रोहिणी महल, हवा महल, और जहांगीर महल जैसे शानदार भवन हैं। खास बात यह है कि जहांगीर महल की दीवारें हीरों और कमल की सुंदर नक्काशी से सजी हैं।
रायसेन किला धार्मिक दृष्टि से भी अद्वितीय है। यहां मंदिरों के साथ-साथ मस्जिदें और दरगाहें भी मौजूद हैं। पीर फतेह उल्लाह शाह बाबा की दरगाह पर आज भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं,…
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