रायपुर जिले के स्कूलों में स्टूडेंट्स के शैक्षणिक प्रदर्शन को बेहतर बनाने और परीक्षा के डर को खत्म करने के लिए एक अनूठी पहल शुरू की गई है। जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग ने मिलकर उत्कर्ष योजना की शुरुआत की है, जिसके तहत जिले के सभी स्कूलों में अब हर महीने बोर्ड परीक्षा की तर्ज पर टेस्ट आयोजित किए जाएंगे। इस योजना का मकसद बच्चों के रिजल्ट में सुधार लाना और उनका परीक्षा से डर खत्म करना है। रायपुर जिला शिक्षा अधिकारी हिमांशु भारती ने बताया कि इस पहल से बच्चों के मन से परीक्षा का भय खत्म होगा और उनकी शैक्षणिक गुणवत्ता में वृद्धि होगी।

उत्कर्ष योजना: एक नई पहल
उत्कर्ष योजना के तहत हर महीने एक पेपर आयोजित किया जा रहा है, जो बोर्ड परीक्षा की तरह ही डिजाइन किया गया है। इसकी शुरुआत जुलाई 2025 में हो चुकी है, और पहला पेपर सभी स्कूलों में सफलतापूर्वक आयोजित किया। खास बात यह है कि ये प्रश्नपत्र जिला स्तर पर तैयार किए जा रहे हैं, ताकि सभी स्कूलों में एक जैसे और गुणवत्तापूर्ण प्रश्नपत्र उपलब्ध हों। यह सुनिश्चित करता है कि सभी बच्चे एक ही स्तर पर अपनी तैयारी का मूल्यांकन कर सकें। तिमाही, छमाही और वार्षिक परीक्षाओं के महीनों को छोड़कर, बाकी सभी महीनों में यह टेस्ट आयोजित होगा।

परीक्षा का डर खत्म करने की रणनीति
परीक्षा का डर बच्चों के प्रदर्शन को प्रभावित करने वाला एक बड़ा कारण होता है। रायपुर शिक्षा विभाग का मानना है कि नियमित मासिक परीक्षाओं से बच्चे परीक्षा की प्रक्रिया से परिचित हो जाएंगे, जिससे उनका डर कम होगा। हिमांशु भारती ने बताया कि इन टेस्टों के जरिए बच्चों को बार-बार मूल्यांकन का मौका मिलेगा, जिससे वे अपनी कमियों को सुधार कर सकेंगे।
बच्चों की कमजोरी पर चर्चा
इस योजना में शिक्षकों की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। शिक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रत्येक टेस्ट के बाद बच्चों के साथ उनकी कमजोरियों पर बात करें और उन्हें बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करें। इसके अलावा, बच्चों को नियमित पढ़ाई और समय प्रबंधन की आदत डालने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। मासिक टेस्टों के परिणामों का विश्लेषण कर स्कूल प्रबंधन और शिक्षक बच्चों के लिए योजनाएं भी तैयार करेंगे।
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परीक्षा के परिणामों में सुधार
उत्कर्ष योजना को लागू करने का उद्देश्य रायपुर जिले के स्कूलों में बोर्ड परीक्षा के परिणामों में सुधार लाना है। जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि इस योजना के तहत मिलने वाले फीडबैक से बच्चों को अपनी प्रगति पर नजर रखने का मौका मिलेगा। साथ ही, यह योजना शिक्षकों और अभिभावकों को भी बच्चों की प्रगति पर नजर रखने में मदद करेगी। शिक्षा विभाग को उम्मीद है कि इस पहल से न केवल रायपुर के स्कूलों के परिणाम बेहतर होंगे, बल्कि बच्चे भविष्य में होने वाली परीक्षाओं के लिए भी बेहतर तरीके से तैयार हो सकेंगे। यह योजना छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों के लिए भी एक मॉडल बन सकती है।