omkareshwar jyotirling ke rahasya: मप्र के इंदौर से तकरीबन 78 किलोमीटर दूर नर्मदा माई के तट पर बहुत ही सुन्दर ॐ के आकार के पर्वत पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग हैं जो की भारत देश की 12 ज्योतिर्लिंग में से चौथे स्थान पर माना जाता हैं |
ओंकारेश्वर मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक और रहस्यों की दृष्टि से भी अहम हैं तो चलिए जानते हैं इस मंदिर के कुछ ऐसे पाँच रहस्य जो शायद ही कुछ लोग जानते होंगे |
नंदी भगवान की प्रतिमा का स्थान अलग और अनोखा हैं
ज्यादातर अपने शिव मंदिर में देखा होगा की नंदी भगवान की प्रतिमा शिवलिंग के सामने होती हैं लेकिन ओंकारेश्वर मंदिर में ऐसा नहीं हैं बल्कि यह प्रतिमा शिवलिंग के सामने होकर उनके विपरीत दिशा में स्थापित हैं |

ऐसी मान्यता हैं की आक्रांताओं से शिवलिंग को बचाने के लिए ऐसा नंदी भगवान की दिशा को बदला गया था और उसकी बस एक ही भ्रांति हैं की, जिस तरफ नंदी देख रहे हैं, उधर शिवलिंग होने की जन मान्यता सही नहीं है |
पांच मंजिल का मंदिर का इतिहास
ऐसा बताया जाता हैं कि ओंकारेश्वर मंदिर का निर्माण परमार काल में पांच मंजिला के स्वरूप में हुआ था और यहाँ हर मंजिल पर अलग-अलग शिव भगवान के स्वरूप हैं:
सबसे नीचे: ओंकारेश्वर,
आगे: महाकालेश्वर,
फिर: सिद्धेश्वर,
उसके ऊपर: गुप्तेश्वर,
सबसे ऊपर: ध्वजेश्वर
और भक्तों के लिए पांचवीं मंजिल तक पहुंचना कठिन है, इस कारण ज्यादातर भक्त केवल ओंकारेश्वर और महाकालेश्वर के दर्शन करते हैं।
खुद महादेव आरती में शामिल होते हैं !
ओंकारेश्वर मंदिर में प्रतिदिन तीन समय की आरती होती हैं और इस मंदिर परिसर में तीन पुरियां — शिवपुरी, विष्णुपुरी और ब्रह्मपुरी हैं। यहाँ की ऐसी मान्यता है कि प्रातःकाल, शाम और रात की शयन आरती के करते समय खुद भगवान शिव आरती में शामिल होते हैं और ऐसा कहा जाता हैं की भक्तों के लिए यह पूजा विशेष महत्व रखती है।
शिव–पार्वती जी खेलते हैं चौपड़
ओंकारेश्वर मंदिर की शयन आरती के बाद शिव-पार्वती जी के लिए चौपड़ सजाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि रात को भगवान शिव और माता पार्वती चौपड़ खेलने मंदिर में आते हैं। साधना करने वालों का मानना है की रात्रि में मंदिर के पट पर ताला लगाया जाता है, और सुबह जब मंदिर के पट खुलते हैं, तो चौपड़ के पास और गोटियां बिखरी मिलती है, और उस दृश्य को देखकर ऐसा लगता है की खेलने के बाद ही वे छोड़ दिए गए हों।
औरंगजेब और ‘मामा-भांजे’ के शिवलिंग का रहस्य क्या हैं ?

ओंकारेश्वर और पर्वत के मध्य में विशेष शिवलिंग हैं, जो की काले रंग के हैं और उन्हे ‘मामा-भांजे’ के शिवलिंग के नाम से माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि मामा यानि बड़े शिवलिंग के नाम से जो जाने जाते हैं यदि उनको अपनी बाहों में लेकर स्मरण करे तो व्यक्ति को अपने भूत, भविष्य और अगले जन्म की जानकारी मिल जाती है |

इतिहास में क्या कहा गया हैं?
मुगल शासक औरंगजेब में भी ऐसी ही जिज्ञासा जागी थी, फिर मंदिर में स्थापित शिवलिंग को उसने आंखें बंद करके अपनी बांहों में लिया, तो उसे चौकने वाला सपना दिखाई दिया जिसमे उसने देखा की उसे सुअर के रूप में अपना अगला जन्म दिखाई दिया तब औरंगजेब क्रोधित हुआ और उसने शिवलिंग तोड़ने का आदेश दिया, जो की असफल रहा, फिर उसने आदेश देकर मंदिर को आग से जला दिया, तभी से यह शिवलिंग काले रंग का दिखाई देता है।
अगर आप धार्मिकता, रहस्य और भारतीय संस्कृति को करीब से देखना चाहते हैं, तो ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की यात्रा जरूर करें।