Malhar Fort Bilaspur: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित मल्हार का प्राचीन किला सदियों से संस्कृति, शक्ति और कला की मिसाल कायम किए हुए है। यह किला भारत की समृद्ध ऐतिहासिक विरासत और भव्य स्थापत्य कला का जीवंत उदाहरण है। प्राचीन काल में यह क्षेत्र ‘मल्लल’ नाम से जाना जाता था और कलचुरी शासकों की राजधानी रहा। खुदाई से प्राप्त अवशेष प्रमाणित करते हैं कि यह स्थान ईसा पूर्व तीसरी सदी से आबाद था।
मौर्य और गुप्त काल से जुड़ा किला
कलचुरी वंश, जो मध्य भारत के प्रमुख शासक थे, ने यहां अपनी सत्ता स्थापित की और किले को मजबूत बनाया। यह किला न केवल सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, बल्कि व्यापार और धार्मिक केंद्र के रूप में भी फला-फूला। आज भी किले की ऊंची दीवारें और द्वार उस युग की भव्यता का बयान करते हैं, जो आधुनिकता की दौड़ में अतीत को जीवित रखने का प्रतीक हैं। इतिहासकारों के अनुसार, मल्हार किला मौर्य और गुप्त काल से जुड़ा हुआ है, जहां से प्राप्त सिक्के और शिलालेख प्राचीन शासन व्यवस्था की झलक देते हैं।

अतीत की शांति की याद दिलाता किला
मल्हार किला बौद्ध, जैन और हिंदू धर्मों के मंदिरों की उपस्थिति से धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक है। यहां की सांस्कृतिक विविधता प्राचीन भारतीय समाज की उदारता को दर्शाती है। बौद्ध स्तूपों के अवशेष और जैन मंदिरों की नक्काशी बताते हैं कि विभिन्न धर्मों के अनुयायी शांतिपूर्वक रहते थे। हिंदू मंदिरों में शिव, विष्णु और देवी की मूर्तियां मिली हैं, जो स्थानीय लोककथाओं से प्रेरित हैं। यह विविधता मल्हार को एक सांस्कृतिक मेलजोल का केंद्र बनाती है, जहां कला और धर्म का संगम हुआ। पुरातत्वविदों का मानना है कि कलचुरी शासकों ने विभिन्न धर्मों को संरक्षण देकर सामाजिक एकता को मजबूत किया। आज, जब धार्मिक असहिष्णुता की चर्चा होती है, मल्हार का किला हमें अतीत की शांति की याद दिलाता है।
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स्थापत्य कला का उदाहरण
मल्हार किले की स्थापत्य कला अत्यंत बारीक और कलात्मक है। यहां स्थित पटेश्वरी मंदिर प्राचीन भारतीय शैली का श्रेष्ठ उदाहरण है। यह मंदिर 10वीं शताब्दी का है, जहां देवी पटेश्वरी की मूर्ति स्थापित है। मंदिर की वास्तुकला नागर शैली पर आधारित है, जिसमें ऊंचा शिखर और जटिल नक्काशी प्रमुख हैं। पत्थरों पर उकेरी गई मूर्तियां – जैसे नृत्यरत अप्सराएं, योद्धा और पौराणिक दृश्य – उस समय की उन्नत तकनीक को प्रदर्शित करती हैं। अन्य ढांचों में राम मंदिर और शिव मंदिर शामिल हैं, जो किले के मुख्य परिसर में बने हैं। इनकी दीवारों पर रामायण और महाभारत के प्रसंगों की नक्काशी की गई है, जो कला के साथ-साथ धार्मिक शिक्षा भी प्रदान करती है। पुरातत्व सर्वेक्षण ऑफ इंडिया (ASI) ने इन संरचनाओं को संरक्षित स्मारक घोषित किया है, और हाल के वर्षों में इन्हें बहाल करने का कार्य चल रहा है।

Malhar Fort Bilaspur: नक्काशी और मूर्तिकला
मल्हार के किले में पाई गई मूर्तियों की बनावट इतनी सूक्ष्म है कि आधुनिक कलाकार भी चकित रह जाते हैं। पत्थरों पर की गई नक्काशी में फूलों, पत्तियों और जानवरों के चित्रण देखने लायक हैं। उदाहरण के लिए, पटेश्वरी मंदिर के द्वार पर उत्कीर्ण यक्षिणी मूर्ति कला की उत्कृष्टता का प्रतीक है। ये मूर्तियां स्थानीय बलुआ पत्थर से बनी हैं, जो आसानी से तराशी जा सकती थी। कलचुरी काल की यह कला चोल और पल्लव शैलियों से प्रभावित लगती है, जो व्यापार मार्गों के माध्यम से फैली। इतिहासकार बताते हैं कि इन मूर्तियों को बनाने में वर्षों लगते थे, और शिल्पकारों को राजकीय संरक्षण प्राप्त था।
खुदाई में मिला खजाना
मल्हार किले में की गई खुदाई ने कई महत्वपूर्ण खजाने उजागर किए हैं। 1980 के दशक में शुरू हुई खुदाई से ईसा पूर्व तीसरी सदी के बौद्ध अवशेष मिले, जिनमें स्तूप और मूर्तियां शामिल हैं। कलचुरी काल के सिक्के, हथियार और आभूषण भी प्राप्त हुए, जो शासकों की समृद्धि दर्शाते हैं। एक प्रमुख खोज पटेश्वरी मंदिर के नीचे मिला भूमिगत कक्ष था, जिसमें प्राचीन ग्रंथों के टुकड़े पाए गए। ये अवशेष मल्हार को एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र बनाते हैं, जो मगध साम्राज्य से जुड़ा था। पुरातत्वविदों ने इन खोजों को संरक्षित करने के लिए म्यूजियम स्थापित किया है, जहां पर्यटक इन्हें देख सकते हैं।

फिर हो सकती है खुदाई
Malhar Fort Bilaspur: खुदाई में मिले खजाने न केवल ऐतिहासिक हैं, बल्कि सांस्कृतिक महत्व के भी हैं। जैन मंदिरों से प्राप्त तीर्थंकर मूर्तियां धार्मिक सहिष्णुता को प्रमाणित करती हैं। हिंदू मंदिरों से मिले शिलालेख कलचुरी राजाओं के दान और निर्माण कार्यों का वर्णन करते हैं। एक रोचक खोज एक प्राचीन जलाशय था, जो सिंचाई प्रणाली का हिस्सा था। ये खजाने हमें बताते हैं कि मल्हार प्राचीन काल में एक उन्नत सभ्यता का केंद्र था। हाल ही में, डिजिटल मैपिंग तकनीक से और गहरी खुदाई की योजना है, जो नए रहस्य उजागर कर सकती है।