Hareli Festival Significance: हरेली तिहार छत्तीसगढ़ का पहला और सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है, यह त्योहार सावन के महिने में कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ धूम – धाम से मनाया जाता है, यह त्योहार विशेष रुप से किसानों का त्योहार माना जाता है, जिसका संबंध कृषि, किसानी , हरियाली और पर्यावरण से है। आइए जानते हैं कि हरेली तिहार का क्या महत्व है। और इसे क्यो मनाया जाता है।
क्यों मनाते हैं हरेली तिहार?

यह त्योहार कृषि, पर्यावरण और पारंपरिक जीवनशैली से है, इस दिन किसान खेतों और वहां उपयोग किए जाने वाले औजारों की पूजा करते हैं, साथ ही भगवान से फसल को सरक्षित रखने की प्रार्थना करते हैं, पर्यावरण की शुद्धता को बनाए रखने की प्राकृतिक परंपराओं का पालन करते हैं। यह प्रकृति और मानव के संबंध के सम्मान का प्रतीक है।
हरेली तिहार की परंपराएं..
- कृषि औजारों की पूजा करना जैसे- हल, कुदाल, बैलगाड़ी आदि कृषि औजारों को साफ करके, उन्हें घर के आंगन या फिर मंदिर में रखकर पूजा करते हैं।
- इस दिन गाय, बैल, भैंस जैसे पालतू पशुओं को नहलाते है और फिर उन्हें उस दिन बने पकवान और प्रसाद का सेवन कराया जाता है, जिससे उनका स्वास्थ सही रहे।
- हरेली तिहार पर घरो के मुख्य दरवाजे पर नीम की टहनी लगाई जाती है, जो बुरी नजर और संक्रमण से सुरक्षित रखते हैं।

गेंड़ी परंपरा- बच्चों और युवाओं की मौज मस्ती…
गेंड़ी चढ़ना हरेली तिहार की सबसे मजेदार परंपरा है, बच्चे और युवा बांस से बनी लगभग 20- 25 फीट गेंड़ी पर चढ़कर गांव में घूमते हैं, यह परंपरा आज भी छत्तीसगढ़ में उतनी ही धूम -धाम से मनाई जाती है।
बनते हैं विशेष पकवान…
इस दिन घरों में पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं जैसे – ठेठरी – खुरमी, मीठा चावल, बड़ा विशेष रुप से बनाया जाता है, और इन पकवानों को गाय और बैलों को भी खिलाया जाता है।
क्या है पूजा की विधि और मान्यताएं…
खेत और फसल की होती है विशेष पूजा…
किसान खेतों में जाकर वहां काटेदर पौधा लगाते हैं, और दीपक, धूप, अक्षत और मीठा चढ़ाकर प्रार्थना करते हैं कि फसल को किसी प्रकार का नुकसान न हो इसको किड़े -कीट नुकसान न पहुंचाएं।
कुलदेवी की भी होती है पूजा…
हरेली तिहर के दिन स्थानीय लोग अपने कुलदेवता या कुलदेवी की पूजा करते हैं, और उन्हें विश्वास होता है कि इससे घर की सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य बना रहता है।

हरेली तिहार का पर्यावरणीय महत्व…
इस त्योहार का सिर्फ धार्मिक या पारंपरिक महत्व नहीं है, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण हैं..
- नीम की टहनी बैक्टीरिया और कीटों को दूर रखने में मदद करते हैं।
- पशु सेवा का महत्व सिखाता है।
लाभ…
- फसलों की वृद्धि और सुरक्षा।
- पारिवरिक स्वास्थ्य और पशु कल्याण के लिए।
- पर्यावरण की शुद्धता।
- सामूहिकता और संस्कृति का विकास।
- बच्चों और युवाओं के लिए मनोरंजन और संस्कृति परंपरा से जुड़ाव।