Hajariya Mahadev Temple: सागर जिले की बीना तहसील से करीब 40 किलोमीटर दूर सोनचर गांव में स्थित हजारिया महादेव मंदिर एक रहस्यमयी धार्मिक स्थल है, जो बेतवा नदी के संगम पर स्थित है… यह मंदिर न केवल श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि अपनी अनोखी मान्यताओं, खंडित शिवलिंग और शांत स्वभाव वाले मगरमच्छों के कारण भी प्रसिद्ध है…
Hajariya Mahadev Temple: नया शिवलिंग स्थापित कर दिया गया

मंदिर में स्थित एक प्राचीन शिवलिंग को लेकर मान्यता है कि. इसे औरंगजेब ने खंडित किया था, हालांकि कुछ लोग इसे आकाशीय बिजली का प्रभाव मानते हैं.. लगभग 15 साल पहले इसे हटाकर नया शिवलिंग स्थापित करने की कोशिश की गई, लेकिन शिवलिंग हिला तक नहीं, जिसके बाद बगल में ही नया शिवलिंग स्थापित कर दिया गया…
Hajariya Mahadev Temple: भूमि से होने वाली आय से ही इसकी सेवा-संरचना चलती
इस मंदिर का संबंध सिंधिया राजवंश से भी रहा है… पुजारी बेनी प्रसाद दुबे बताते हैं कि उनके पूर्वजों को सिंधिया घराने से वेतन मिलता था, जो करीब 7 साल पहले बंद हो गया… अब मंदिर की 25 एकड़ भूमि से होने वाली आय से ही इसकी सेवा-संरचना चलती है…
Hajariya Mahadev Temple: जबकि लोग उसी घाट पर स्नान करते

बेतवा नदी के घाट पर रहने वाले मगरमच्छ भी यहां की खासियत हैं…. आमतौर पर आक्रामक माने जाने वाले ये मगरमच्छ श्रद्धालुओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। ग्रामीणों के अनुसार, आज तक किसी पर हमला नहीं हुआ है, जबकि लोग उसी घाट पर स्नान करते हैं…
Hajariya Mahadev Temple: वस्तु लौटाने के बाद ही राहत मिली
मंदिर से किसी भी वस्तु को ले जाना अपशकुन माना जाता है… कई श्रद्धालुओं ने अनुभव साझा किया कि बेलपत्र या कोई अन्य वस्तु साथ ले जाने पर उन्हें सपने में सांप दिखे या घर में सांप निकल आया… गलती मानने और वस्तु लौटाने के बाद ही राहत मिली..
Hajariya Mahadev Temple: कोई भी रात में ठहरने की हिम्मत नहीं करता
एक और रहस्यमयी बात यह है कि मंदिर परिसर में रात में कोई नहीं रुकता… एक महात्मा द्वारा रात्रि विश्राम करने के प्रयास के दौरान शरीर पर चिमटे से मार पड़ने का अनुभव हुआ था, जिसके बाद कोई भी रात में ठहरने की हिम्मत नहीं करता…
Hajariya Mahadev Temple: महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन केंद्र बन सक

सावन, बसंत पंचमी और महाशिवरात्रि जैसे पर्वों पर यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, लेकिन इसके बावजूद यह धार्मिक स्थल सरकारी उपेक्षा का शिकार है… न सड़क है, न बुनियादी सुविधाएं… ग्रामीणों का कहना है कि यदि सरकार ध्यान दे, तो यह स्थान एक महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन केंद्र बन सकता है…