Gwalior Fort: सार…मध्यप्रदेश के दिल में, आसमान को छूती एक पहाड़ी पर सदियों से खड़ा है एक प्रहरी युद्धों के शोर, राजाओं की शान और प्रेम की अमर दास्तान का गवाह ग्वालियर का किला है… जिसे “हिन्द के किलों के बीच मोती” कहा गया है। जो एक ऊंची पर्वत पर स्थित है और इसे भारत के सबसे अजेय तथा भव्य किलों में गिना जाता है… इसकी नींव छठी शताब्दी में राजा सूरज सेन ने रखी थी…एक साधु ‘ग्वालिपा’ के आशीर्वाद से और तभी से यह भारत के इतिहास का गर्व बन गया है… हर पत्थर, हर नक्काशी… मानो समय को रोककर कह रही हो, मैंने वह समय देखा है, जब यह धरती रणभूमि भी थी और प्रेमभूमि भी….ग्वालियर का किला सिर्फ़ पत्थरों का ढेर नहीं,यह भारत की आत्मा का एक अटूट हिस्सा है…एक धरोहर,एक गाथा और भारत की आत्मा का चमकता मोती ग्वालियर का किला है…

Gwalior Fort: किला “भारत का गिब्राल्टर” भी कहलाता है
- प्राचीनता और ऐतिहासिक महत्व
ग्वालियर का किला मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर की ऊँची पहाड़ी पर स्थित है और भारत के सबसे शक्तिशाली तथा अजेय किलों में गिना जाता है। इसकी स्थापना की कहानियाँ छठी शताब्दी के राजा सूरज सेन से जुड़ी हैं, जिन्हें एक साधु ग्वालिपा ने कुष्ठ रोग से ठीक किया। आभार स्वरूप उन्होंने इस दुर्ग का निर्माण करवाया और महत्त्वपूर्ण जलाशय ‘सूरजकुंड’ बनवाया, जो किले के भीतर आज भी मौजूद है। किला “भारत का गिब्राल्टर” भी कहलाता है। - कालक्रम और प्रमुख शासक
ग्वालियर किला कई राजवंशों और महान योद्धाओं का साक्षी रहा है
छठीं–नवीं शताब्दी में स्थानीय शासकों के अधीन रहा।
10वीं–11वीं सदी में, महमूद गज़नी, कुतुबुद्दीन ऐबक और इल्तुतमिश ने यहा आक्रमण और कब्ज़े किए।
14वीं–15वीं सदी में राजा मान सिंह तोमर के शासन में किले का अभूतपूर्व विस्तार हुआ और कई स्थापत्य रचनाएं बनीं।
इसके बाद लोदी, मुगल, मराठा वंश और अंत में सिंधिया वंश के हाथों में गया। अकबर और शेरशाह सूरी के काल में यह सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण रहा। - स्थापत्य कला सहित प्रमुख स्मारक
किला बलुआ पत्थर की एक विशाल पहाड़ी पर स्थित है, जिसकी दीवार लगभग 2 मील लंबी और 35 फीट ऊँची है। इसकी बनावट और संरचनाएं इसे दुर्भेद्य बनाती हैं।


• मान मंदिर महल: राजा मान सिंह तोमर द्वारा निर्मित चार मंजिला महल, खूबसूरत टाइल्स और नक्काशी के लिए प्रसिद्ध।
• गुजरी महल: रानी मृगनयनी के लिए बना, अब पुरातत्व संग्रहालय है।
• तेली का मंदिर: 9वीं शताब्दी का अद्भुत हिंदू मंदिर, द्रविड और आर्य स्थापत्य शैलियों का मिलाजुला रूप।
• सास बहू के मंदिर: 11वीं शताब्दी के सुंदर विष्णु मंदिर, नक्काशीदार शिल्पकला के लिए खास।
• चतुर्भुज मंदिर: यहा गणित में ‘शून्य’ का सबसे पुराना प्राचीन अभिलेख पाया गया है।
• जैन मंदिर व गुफाएँ: किले के भीतर विशाल जैन मूर्तियाँ और गुफाएँ बनी हैं।

- युद्ध, रणनीति और घटनाएँ
किला कई ऐतिहासिक युद्धों, घेराबंदियों और आक्रमणों का केंद्र रहा। यहाँ कई ‘जौहर’ हुए—जिसमें महिलाएँ दुश्मन के हाथों पड़ने से बचने के लिए सामूहिक रूप से अग्नि में प्रवेश कर जाती थीं। किले को बार-बार जीता और खोया जाता रहा, जो इसकी रणनीतिक स्थिति दर्शाता है।
Read More: रायसेन में है ऐसा अनोखा शिव मंदिर जो आज भी है अधूरा, जानिए इससे जुड़ी रहस्यमयी मान्यताएं… - वर्तमान में आकर्षण
ग्वालियर किला एक प्रमुख पर्यटन स्थल है—इसके महल, मंदिर, भव्य गेट, संग्रहालय और दर्शनीय स्थल इतिहास प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। सम्राट बाबर ने इसे “हिन्द के किलों के बीच मोती” कहा था। किले का प्रत्येक पत्थर, उसकी विशाल दीवारें और भव्य प्रांगण भारतीय इतिहास और स्थापत्य का अमूल्य खजाना हैं।


Gwalior Fort: सदियों से अटल, अडिग और अद्वितीय ग्वालियर का किला खड़ा है… यह किला केवल पत्थरों का ढेर नही एक जीवंत इतिहास है… जहा हर दीवार ने युद्ध की गड़गड़ाहट सुनी है, यह किला याद दिलाता है कि समय बदल सकता है, साम्राज्य उठते और गिरते हैं… पर जो अमर है, वह शौर्य, संस्कृति और विरासत है…
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