कुंडली से विदेश यात्रा योग: कुंडली में ग्रह योग ये भी बताते हैं कि विदेश यात्रा किस काम के लिए होगी
विदेश यात्रा का सपना हर किसी का होता है, लेकिन ज्योतिष कहता है कि यह तभी पूरा होता है जब आपके द्वादश भाव, नवम भाव और राहु-गुरु-शनि जैसे ग्रह अनुकूल स्थिति में हों। सिर्फ योग होना ही काफी नहीं, दशा और गोचर भी साथ देने चाहिए।

हम सभी के मन में कभी न कभी यह सवाल जरूर उठता है क्या मैं विदेश जाऊँगा?
क्या मेरी कुंडली में विदेश बसने का योग है? कई बार लोग शिक्षा या नौकरी के लिए, तो कई लोग सिर्फ घूमने-फिरने या अध्यात्मिक कारणों से विदेश जाते हैं। लेकिन ज्योतिष की नज़र से देखा जाए तो हर जातक के लिए विदेश यात्रा का योग अलग-अलग कारणों और ग्रहों पर आधारित होता है।
विदेश यात्रा से जुड़े भाव और ग्रह जान लीजिए

द्वादश भाव (12th house)
वैदिक ज्योतिष में द्वादश भाव को ही “विदेश” या “परदेश” का भाव कहा जाता है। यह घर से दूर रहना, विदेश बसना, लंबी यात्राएं और खर्च से भी जुड़ा है। यदि द्वादश भाव मज़बूत हो या उस पर राहु, शनि या गुरु की दृष्टि हो तो जीवन में विदेश जाने के अवसर ज़रूर आते हैं।
नवम भाव (9th house)
नवम भाव भाग्य और लंबी दूरी की यात्राओं का कारक माना जाता है। यदि कुंडली में नवम भाव या नवमेश मजबूत हो और द्वादश भाव से जुड़ जाए, तो शिक्षा या आध्यात्मिक यात्राओं के लिए विदेश जाना तय माना जाता है।
चतुर्थ भाव (4th house)
चौथा भाव को मातृभूमि का भाव कहा जाता है। जब इस भाव पर राहु या शनि का प्रभाव होता है तो जातक को अपने देश-घर से दूर रहना पड़ सकता है, यानि विदेश यात्रा का प्रवल योग बनता है।
राहु का प्रभाव
राहु ग्रह हमेशा विदेशी तत्वों, विदेश यात्राओं और परदेशी लोगों से जोड़ता है। यदि राहु लग्न, चन्द्रमा, नवम भाव या द्वादश भाव में हो तो जातक को विदेश यात्रा अवश्य होती ही है।
कुंडली विदेश यात्रा के प्रकार
पर्यटन / घूमने-फिरने हेतु
यदि कुंडली में द्वादश भाव पर शुक्र या चन्द्रमा का प्रभाव हो, तो जातक आनंद और मौज-मस्ती के लिए विदेश यात्रा करता है।

शिक्षा हेतु
नवम भाव और बुध-गुरु का संबंध बने तो विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के योग बनते हैं।
नौकरी या स्थायी निवास
जब द्वादश भाव से शनि और राहु जुड़ते हैं, तो जातक लंबे समय तक विदेश में रह सकता है, कभी-कभी स्थायी निवास भी हो सकता है।
आकस्मिक या अप्रत्याशित यात्रा
राहु–केतु की दशा या गोचर आने पर अचानक विदेश यात्रा होती है, इस यात्रा की योजना पहले नहीं बनी होती।
जातक पर गोचर और दशा का असर
विदेश यात्रा केवल योगों पर निर्भर नहीं करती, बल्कि समय दशा और गोचर भी महत्वपूर्ण है। जब बृहस्पति (गुरु) नवम या द्वादश भाव से गोचर करता है तो विदेश यात्रा का शुभ समय होता है। जब शनि 12वें भाव में आता है, तब लंबे समय तक विदेश में रहने का योग बन सकता है। राहु और केतु का गोचर अचानक विदेश जाने का मौका ला सकता है।
कुंडली से विदेश यात्रा योग: एक वास्तविक उदाहरण
मेरे एक मित्र की कुंडली में लग्नेश 12वें भाव में था और राहु नवम भाव पर दृष्टि डाल रहा था। दशा चल रही थी बृहस्पति की। उस समय उन्हें जॉब ऑफर मिला और वे अमेरिका चले गए। पहले तो सोचा कुछ महीनों के लिए जाएंगे, लेकिन बाद में वहीं स्थायी रूप से बस गए।
यानी योग पहले से मौजूद था, लेकिन सही दशा और गोचर ने उसे सक्रिय कर दिया।
तो अगर आप जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली में विदेश यात्रा कब होगी?,
तो अपनी जन्म तिथि, समय और स्थान के आधार पर विस्तृत कुंडली बनवाना सबसे सही उपाय है।
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