बटेश्वर मंदिर और डकैतों की अनसुनी कहानी
चंबल नदी और उसकी रहस्यमयी बीहड़ें मध्य प्रदेश की सरहद पर बहने वाली चम्बल नदी अपने आप में एक अनोखी और रहस्यमयी दुनिया को समेटे हुए है। इसकी दोनों किनारों पर अनगिनत घाटियां हैं, जो अपनी वीरान और बंजर प्रकृति के कारण भूल भुलैया जैसी लगती हैं। ये घाटियां चम्बल की बीहड़ कहलाती हैं और कभी डकैतों की मनपसंद पनाहगाह हुआ करती थीं। यहां पर पनाह लेने वाले डकैत हर एक चप्पे चप्पे से वाकिफ थे। बीहड़ों में पुलिस भी जाने से कतराती थी।

चंबल के बीहड़ और बटेश्वर मंदिर की कहानी: चंबल और डकैत का इतिहास

चम्बल नदी और डकैतों का इतिहास काफी पुराना है। सदियों तक चम्बल में डकैतों का राज रहा, जो पुलिस से हमेशा सतर्क और हथियारों से लैस रहते थे। इन डकैतों का चम्बल में कई सदियों तक दबदबा रहा, और पुलिस भी इनसे बचने की कोशिश करती थी। लेकिन धीरे-धीरे पुलिस ने इन पर शिकंजा कसना शुरू किया, और आखिरकार इनकी पकड़ ढीली पड़ने लगी।
निर्भय गुर्जर: डकैत, लेकिन शिव का भक्त

चम्बल के आखिरी कुख्यात डकैत निर्भय सिंह गुर्जर थे, जिनका मुरैना और आसपास के इलाकों में काफी खौफ था। लेकिन निर्भय गुर्जर एक आस्थावान डकैत थे, जो भगवान शिव के भक्त थे और चम्बल में बटेश्वर मंदिर की पूजा करते थे।
बटेश्वर मंदिर: इतिहास और धरोहर

बटेश्वर मंदिर एक प्राचीन मंदिर है, जो चम्बल की बीहड़ों में स्थित है। इस मंदिर का इतिहास तकरीबन 1300 साल पुराना है, और इसका निर्माण गुर्जर प्रतिहार वंश के शासकों ने करवाया था। मंदिर प्रांगण में बलुआ पत्थर के बने करीब 200 मंदिर हैं, जो अपनी सुंदर वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं।
मंदिर पुनर्निर्माण और डकैतों का अंत
1 अक्टूबर, 2020:
ग्वालियर से 50 किलोमीटर दूर चंबल घाटी में स्थित बटेश्वर मंदिर समूह में 200 से अधिक मंदिर खंडहर बने पड़े थे, जिनका निर्माण 8वीं से 11वीं शताब्दी के बीच हुआ था। लंबे समय तक डकैतों से बातचीत के बाद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की मध्य प्रदेश इकाई, जिसके प्रमुख उस समय के. के. मुहम्मद थे।
मंदिरों की रक्षा और पुनर्निर्माण

मुहम्मद ने बताया कि डकैतों के सरगना निर्भय सिंह गुर्जर ने उनसे मिलने की इच्छा जताई थी। मुलाक़ात संयोग से हुई। उन्होंने देखा कि खुदाई स्थल के पास एक आदमी बैठा बीड़ी पी रहा है। वे उसके पास गए और कहा कि बीड़ी बुझा दो।

तभी उनके कारीगरों ने धीरे से बताया कि वह आदमी कोई और नहीं बल्कि गुर्जर खुद है! तो उनकी हालत खराब हो गई. लेकिन बातचीत में डकैत को समझाया कि मंदिर गुर्जर-प्रतिहार वंश के हैं। इसलिए इन मंदिरों की रक्षा करो और पुनर्निर्माण में हिस्सा लो।
डकैत के एनकाउंटर के बाद खनन माफिया हावी
इसके बाद तो पुरातत्व विभाग ने 80 मंदिर खड़े कर दिए लेकिन निर्भय के एनकाउंटर के बाद, उसके गैंग के सभी सदस्य मारे गए, मंदिर का पुनर्निर्माण धीमा पड़ गया। खनन माफिया का पूरे इलाके पर कब्जा कर लिया, आज बटेश्वर मंदिर एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, जो अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है।
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