Bilaspur Peace Committee Meeting: बिलासपुर जिले में सामाजिक सद्भाव और शांति बनाए रखने के उद्देश्य से जिला स्तरीय शांति समिति की बैठक सोमवार को जिला कार्यालय के मंथन सभाकक्ष में आयोजित की गई। एडीएम एस.एस. दुबे की मौजूदगी में हुई इस बैठक में विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधियों, समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक का मुख्य फोकस आगामी त्योहारों गणेश चतुर्थी और ईद-ए-मिलाद (मिलाद-उन-नबी) के शांतिपूर्ण आयोजन पर था।

SDM ने की बैठक
एडीएम ने बैठक की शुरुआत करते हुए कहा कि जिले में हमेशा से ही त्योहारों को आपसी भाईचारे की भावना से मनाया जाता रहा है, और इस वर्ष भी सभी को एकजुट होकर इन पर्वों को उत्साहपूर्वक लेकिन शांतिपूर्ण ढंग से मनाने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी प्रकार की अफवाह या भड़काऊ गतिविधि से बचना होगा, ताकि सामाजिक सौहार्द बना रहे।
आगामी त्योहारों को लेकर चर्चा
बैठक में 27 अगस्त को मनाए जाने वाले गणेश चतुर्थी और 6 सितंबर को होने वाले ईद-ए-मिलाद के आयोजन पर विस्तार से चर्चा की गई। गणेश चतुर्थी के संदर्भ में समिति के सदस्यों ने बताया कि इस वर्ष भी विभिन्न स्थानों पर गणेश प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी, और पूजा-अर्चना के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। एडीएम ने निर्देश दिए कि सभी पूजा समितियों को पूर्व में ही स्थापना स्थलों की सूचना प्रशासन को देनी होगी, ताकि सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।
इसी प्रकार, ईद-ए-मिलाद के लिए जुलूस और धार्मिक सभाओं के रूट चार्ट को पहले से तय करने पर जोर दिया गया। एडीएम ने कहा, “ये त्योहार हमारी सांस्कृतिक विविधता के प्रतीक हैं। इन्हें मनाते समय सभी समुदायों का सम्मान सुनिश्चित करना हमारी साझा जिम्मेदारी है।” बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि त्योहारों के दौरान सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार की भ्रामक या उत्तेजक सामग्री को तुरंत रिपोर्ट किया जाए, और प्रशासन द्वारा इसकी निगरानी की जाएगी।
Bilaspur Peace Committee Meeting: DJ को लेकर सख्त नियम
बैठक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने पर केंद्रित रहा। एडीएम एस.एस. दुबे ने स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी ध्वनि विस्तारक यंत्रों जैसे स्पीकर, डीजे सिस्टम आदि पर साउंड लिमिटर लगवाना अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा, “किसी भी दशा में ध्वनि का स्तर 70 डेसीबल से अधिक नहीं होना चाहिए। यह नियम गणेश चतुर्थी के भजन-कीर्तन, जुलूसों और ईद-ए-मिलाद की सभाओं पर पूरी तरह लागू होगा।” यदि कोई उल्लंघन पाया गया, तो संबंधित आयोजकों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें जुर्माना और आयोजन पर रोक शामिल हो सकती है। समिति के सदस्यों ने इस पर सहमति जताई और कहा कि इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण होगा, बल्कि आसपास के निवासियों को भी असुविधा नहीं होगी। एडीएम ने संबंधित विभागों को निर्देश दिए कि वे साउंड लिमिटर की उपलब्धता सुनिश्चित करें और नियमित जांच करें।

विसर्जन के लिए पहले सूचना
त्योहारों के समापन के संदर्भ में, विशेष रूप से गणेश चतुर्थी के विसर्जन और ईद-ए-मिलाद के जुलूसों के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए गए। एडीएम ने कहा कि सभी समितियों को विसर्जन या जुलूस की सूचना कम से कम दो दिन पहले स्थानीय प्रशासन को देनी होगी। इसमें रूट, समय, प्रतिभागियों की अनुमानित संख्या और सुरक्षा व्यवस्था का विवरण शामिल होना चाहिए। “इससे ट्रैफिक प्रबंधन, सुरक्षा बलों की तैनाती और संभावित जोखिमों को कम किया जा सकेगा,” एडीएम ने जोर दिया। बैठक में यह भी चर्चा हुई कि विसर्जन स्थलों पर पर्यावरण-अनुकूल प्रतिमाओं का उपयोग अनिवार्य होगा, और प्लास्टिक या प्रदूषण फैलाने वाले सामग्रियों से परहेज किया जाए। समिति के हिंदू और मुस्लिम प्रतिनिधियों ने एक-दूसरे के त्योहारों में सहयोग की प्रतिबद्धता जताई, जैसे कि जुलूस रूट्स को समन्वित करना।