Bhoramdeo mandir – chhattisgarh ka khajuraho: छत्तीसगढ़ के कवर्धा में प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर एक इतिहासिक मंदिर जो की हजारों साल पुराना हैं ऐसा माना जाता हैं की यह मंदिर 11वीं सदी के राजा नागवंशी ने बनवाया था

हजारों साल से ये मंदिर ऐसी ही खड़ा हुआ हैं | इस मंदिर मे उभरी कलाकृतियाँ भक्तों खींच ले आती हैं इस मंदिर भगवान शिव विराजमान हैं इस मंदिर की आकृतियां खजुराहो मंदिर जैसी ही दिखाई देती हैं
छत्तीसगढ़ कवर्धा .
छग के कवर्धा में भोरमदेव मंदिर हजार सालों बाद भी मजबूती के साथ जस का तस खड़ा हुआ है. यह मंदिर जिले के साथ ही भारत देश की धरोहर माना जाता है |
भोरमदेव मंदिर की बनावट बाकी दूसरे मंदिरों से अलग है| इसकी कलाकृति और सुंदरता भगवान भोलेनाथ के भक्तों को अपनी ओर खींच लेता है, इसी कारण छत्तीसगढ़ ही नही बल्कि कई दूर शहर से भी भक्त यहाँ दर्शन करने आते हैं
खजुराहो के नाम से जाने जाना वाला यह मंदिर अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के साथ आस्था का एक बड़ा केंद्र भी माना जाता हैं |
मंदिर की बनावट मानो जैसे खजुराहो के मंदिरों जैसी है

आपको बात दें की छग के कवर्धा जिले के भोरमदेव मंदिर को छत्तीसगढ़ के खजुराहो नाम से भी जानते हैं | कवर्धा से तकरीबन 10 से 12 किमी दूर मैकल पर्वत से घिरा हुआ यह मंदिर करीब हजार साल पुराना है | इस मंदिर को खजुराहो और कोणार्क की तरह बनाया गया है | भोरमदेव मंदिर के प्रवेश मुख्य द्वार पर मंदिर की बाहरी दीवारों पर मिथुन मूर्तियां बनी हुई हैं
विरासत के रूप में भोरमदेव मंदिर शामिल है
भोरमदेव मंदिर की मूर्तियां नागरशैली में बनी हैं, मंदिर की एक एक मूर्ति लोगों को आकर्षित करती हैं, मिली जानकारी के मुताबिक मंदिर को लेकर एक ऐसी कहानी जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है.

राजा नागवंशी ने 11वीं सदी में इस मंदिर को बनवाया था, ऐसा कहा जाता है की राजा नागवंशी गोपाल देव ने इस मंदिर को केवल एक रात ही में पूरा करने का आदेश दिया था, लेकिन उस समय 6 महीने की रात और 6 महीने का दिन हुआ करता था.
राजा के आदेशानुसार मंदिर को एक रात में ही बनाया गया था, लेकिन कई लोग इसे सिर्फ कहानियां बताते हैं. लेकिन कुछ लोग इसे पीढ़ी दर पीढ़ी चली या रही हैं कहानी बताते हैं |
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