Ancient Technology: अद्भुत खोज का केंद्र – पत्थर की नाव
मध्यप्रदेश के सागर जिले के जिला पुरातत्व संग्रहालय में रखी एक पत्थर की नाव लोगों को हैरत में डाल देती है। 19वीं शताब्दी की यह छोटी सी नाव न सिर्फ पत्थर की बनी है, बल्कि यह पानी पर तैरती भी है। इस नाव का वजन करीब ढाई किलो है,
फिर भी यह अपने ऊपर 750 ग्राम तक वजन ले जाकर भी आसानी से जल में तैर सकती है।

दान में मिली थी ये दुर्लभ नाव
Ancient Technology: इस नाव को संग्रहालय को 1991 में भूरे खां नामक व्यक्ति ने दान किया था। उन्होंने बताया था कि उनके पिता ने इसे खुद तैयार किया था। पत्थर की कटिंग, उसकी खास डिजाइन और फिर मिट्टी का लेप करके उच्च तापमान पर पकाने से ये अद्भुत रचना सामने आई। इसकी लंबाई 30 सेमी, चौड़ाई 25 सेमी और ऊंचाई 7 सेमी है।
क्यों है ये लोगों का आकर्षण केंद्र

Ancient Technology: हालांकि संग्रहालय में कई ऐतिहासिक मूर्तियां और कलाकृतियां हैं, लेकिन सबसे अधिक भीड़ इस नाव को देखने के लिए उमड़ती है। लोग जब देखते हैं कि यह पत्थर की नाव वजन के साथ पानी में तैर रही है,
तो वे आश्चर्य से भर जाते हैं और इसे विज्ञान का चमत्कार मानते हैं।
विशेषज्ञों की राय में छुपा है विज्ञान
Ancient Technology: पुरातत्व मार्गदर्शक सुजीत पुरी गोस्वामी बताते हैं कि उन्होंने इस नाव को खुद पानी में तैराकर टेस्ट किया था। अलग-अलग वजन डालकर जब देखा गया कि यह 750 ग्राम तक वजन ले सकती है,
तो यह सिद्ध हुआ कि इसकी बनावट और डिजाइन ही इसके तैरने का रहस्य है।
भूगर्भशास्त्र से भी जुड़ा है रहस्य

Ancient Technology: सागर यूनिवर्सिटी के भूगर्भशास्त्री डॉ आर के त्रिवेदी के अनुसार, यह नाव संभवतः प्यूमिक स्टोन या सेंडस्टोन जैसे पत्थर से बनी हो सकती है। ज्वालामुखी की प्रक्रिया से बने इन पत्थरों में हवा भरी गुहाएं होती हैं,
जो उन्हें हल्का बनाती हैं और तैरने में मदद करती हैं। यह विज्ञान का सीधा सिद्धांत है कि कम घनत्व वाली वस्तु पानी में तैरती है।