नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की,आज कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व है…
कुएं वाला कृष्ण मंदिर सागर: छलिया कान्हा और गोपियों की लीलाओं के कई किस्से सुनने को मिलते हैं…तभी तो ये चौपाई बनी है कि… अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरं और हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे। इन चौपाइयों में छलिया कान्हा के रास छुपे हुए हैं ज गोपियों के लिए विशेष महत्व रखते थे।
चलिए तो आप को एक और छलिया कान्हा की कहानी बताते हैं…
ये कहानी है मप्र के सागर जिले की…
जिसे सुनकर- जानकर आप अचरज में पड़ जाएंगे. बतादें कि….
यहां कान्हा का एक ऐसा मंदिर है जो केवल अपनी गोपियों की सुनते हैं. करीब 370 साल पुराने कृष्ण मंदिर की खासियत ये है कि भगवान श्री कृष्ण का मंदिर कुएं पर बनाया गया है

ऐसा कहा जाता है कि प्रभु श्री कृष्ण के तल को कुएं का पानी स्पर्श करते है. और श्री कृष्ण हमेशा जागृत अवस्था में रहते हैं।
कान्हा को चिट्ठी लिखकर अपनी अर्जी लगाई जाती हैं
सागर जिले की पहचान कही जाने वाली लाखा बंजारा झील के किनारे स्थित मंदिर की स्थापना वासुदेव राव आठले ने कराई थी. तभी से इस मंदिर में परंपरा है कि एकादशी के दिन कोई भी महिला गोपी रूप में प्रभु कान्हा को चिट्ठी लिखकर अपनी अर्जी लगाती है तो कन्हैया उसकी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं।
कुएं वाला कृष्ण मंदिर सागर: जानिए कितने वर्षों से कुएं में स्थापित है श्रीकृष्ण की मूर्ति
वहां के मंदिर के मैनेजर गोविंद दत्तात्रेय आठले बताते हैं कि यह मंदिर 1655 ई. में बनाया गया था… मंदिर का निर्माण करने वाले वासुदेव राव आठले थे… जो बंडा और शाहगढ़ के मालगुलार थे…
जब मंदिर की स्थापना की गई
यह मंदिर को कुएं पर बनाया गया है. जब इस मंदिर की स्थापना की गई थी…तब से ये माना जाता है कि कुएं का पानी श्री कृष्ण भगवान के तल को छूता रहेगा, तो भगवान श्री कृष्ण हमेशा जागृत अवस्था में रहेंगे…
प्रभु कान्हा के साथ राधा जी की भी स्थापना
कहते हैं कि पहले इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण अकेले विराजे थे… यहां एक बार जगतगुरु शंकराचार्य का आना हुआ था. तब उनके कहने पर प्रभु कान्हा के साथ राधा जी की भी स्थापना की गई थी।
यहां कान्हा सिर्फ गोपियों की सुनते हैं…

बताते हैं कि..
इस मंदिर की खासियत ये है कि यहां प्रभु को चिट्ठी लिखकर अर्जी लगाई जाती है… जिसे वह रात में शगुन के रूप में चबाकर ग्रहण करते हैं…और 100 साल रहता है उसको ग्रहण कर लेते हैं… और जो बेकार होता है उसे छोड़ देते हैं।
इतना ही नहीं, खास बात ये भी है कि..

कन्हैया को सिर्फ महिलाएं अर्जी लगा सकती हैं…
जो महिला अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए अर्जी लगाती हैं… उसे गोपी के रूप में अर्जी लगानी होती है। कान्हा के लिए अर्जी की चिट्ठी लिखी जाती है…

जिसमें सबसे ऊपर लिखा जाता है कि..
हे माधव,हे गोपाल हे कृष्ण मेरी यह प्रार्थना है,,,,,
मेरा यह काम आप करवा दीजिए,,,,,,
सबसे आखरी में अर्जी लगाने वाली महिला
आपकी गोपी लिखती है…
9 गोपियों की पिछले साल पूरी हुई थी मनोकामना

गोविंद दत्तात्रेय आठले बताते हैं कि..
अर्जी सिर्फ एकादशी के दिन लगाई जाती है… पिछले साल 11 गोपियों ने अर्जी लगाई थी… जिसमें से 9 गोपियों की मनोकामना पूरी हुई है…
सुरेखा गोविंद आठले बताती हैं कि..
कार्तिक महीने में पांडव पंचमी के दिन यहां मेला लगता है.. इस दौरान गोपियों काफी संख्या में पूजा करने आती हैं और अपनी चिट्ठी रख कान्हा से कुछ नहीं मांगती…
मैंने कभी कोई अर्जी नहीं लगाई.. सुरेखा गोविंद आठले
मेरे मन में क्या है भगवान सब जानते हैं और हमारे ऊपर जो भी संकट आता है…उसका निवारण करते हैं. मैंने कभी कोई अर्जी नहीं लगाई है…
मैं भगवान से कुछ नहीं मांगती हूं मेरे मन में क्या है भगवान सब जानते हैं…और हमारे ऊपर जो भी संकट आता है उसका निवारण करते हैं….
अर्जी लगाने वाली गोपियां बाद में आकर बताती हैं कि…….. उनकी मनोकामना पूरी हो गई।
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