madhy pradesh heritage site:-मध्यप्रदेश पूरी दुनिया में अपने प्राकृतिक सौन्दर्यता और समृद्ध धरोहर के लिए पूरे देश में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है इस बात पर मुहर लगाती है यूनेस्को की “विश्व धरोहर सूची” जिसमे अब मध्य प्रदेश के 18 स्थल सम्मिलित है। जिनमें 3 स्थाई और 15 अस्थाई सूची में शामिल है।
धरोहर स्थलों को वैश्विक धरोहर की मान्यता
UNESCO यानी (यूनाइटेड नेशन एजुकेशन एंड सैइंटिफ़िक एंड कल्चर आर्गेनाइजेशन) का उद्देश्य दुनिया भर की प्राकृतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक महत्व की धरोहरों को संरक्षण प्रदान करने का कार्य करता है। और उन्हें वैश्विक महत्त्व प्रदान कराने के लिए विश्व धरोहर सूची में शामिल करने का कार्य करता है। इन धरोहर स्थलों को वैश्विक धरोहर की मान्यता दी जाती है और उसके ही अनुरूप उनका संरक्षण किया जाता है।
मध्यप्रदेश का देश में बड़ा मान
मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रदेश सरकर के प्रयास अब सकरात्मक परिणाम लेकर आने लगे है। पिछले वर्ष मध्यप्रदेश के 6 धरोहर स्थल और अब इस वर्ष के शुरुआत में ही 4 धरोहर स्थलों को सीरियस नॉमिनेशन के तहत यूनेस्को की टेंटेटिव लिस्ट (अस्थाई सूची) में शामिल किया गया है।
इस वर्ष प्रदेश के चौंसठ योगिनी माता मंदिर, गुप्तकालीन मंदिर, मौर्यकालीन अशोक के शिलालेख, बुंदेला शासकों के महल और किलों को इस सूची में शामिल किया गया है।
ये है मध्य प्रदेश के 15 यूनेस्को अस्थाई स्थल
• मांडू के स्मारक.
• ओरछा का ऐतिहासिक समूह.
• नर्मदा घाटी में भेड़ाघाट-लम्हेटाघाट.
• सतपुड़ा टाइगर रिजर्व.
• गढ़कुंडार.
• राजा महल.
• जहांगीर महल.
• दतिया महल.
• धुबेला महल.
• ग्वालियर किला.
• धमनार का ऐतिहासिक समूह.
• भोजेश्वर महादेव मंदिर.
• चंबल घाटी के रॉक कला स्थल.
• खूनी भंडारा, बुरहानपुर.
• रामनगर, मंडला के गोंड स्मारक.
मध्यप्रदेश के पास है तीन स्थाई विश्व धरोहर स्थल ..
खजुराहो मंदिर :
मप्र के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो मंदिरों श्रृंखलाओं को यूनेस्को ने 1986 में विश्व धरोहर स्थल की मान्यता दी।
यह मध्य प्रदेश की पहली विश्व धरोहर स्थल है इस मंदिर में प्रमुख रूप से…
कंदरिया महादेव ,
नंदी मंदिर ,
चित्रगुप्त मंदिर,
लक्ष्मण मंदिर
स्थित है। इसके आलावा यहाँ जैन मंदिर भी स्थित है। जो अपनी विश्वविख्यात स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। इन मंदिरों का निर्माण चंदेल वंश के राजाओं ने 980 ई. से 1150 ई. के मध्य करवाया था।

साँची स्तूप:
साँची अपने प्राचीन बौद्ध वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है यहाँ मौर्यकालीन सम्राट अशोक ने बौद्ध स्तूपों के निर्माण कराया इसके बाद अन्य राजाओं ने समय समय पर निर्माण कार्य जारी रखे।

तोरण द्वार, बौद्ध मठ, 3 शताब्दी तक के स्तंभ मौजूद है जो प्रमुख पर्यटन केंद्र है। साँची स्तूप यह भोपाल से 46 किलोमीटर है यह रायसेन जिले की सीमा की अंतर्गत आता है हालांकि इसकी विदिशा से मात्र 10 किमी की दूरी पर स्थित है.

भीम बैठका गुफाएं :
2003 मध्यप्रदेश को 18 विश्व धरोहर स्थल से मिली विशिष्ट पहचान मिली.
यह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 40 से 45 ओबेदुल्लागंज में स्थित है जो रायसेन जिले में आता है। पुरापाषाण युग के आदिमानवों द्वारा चित्रों को दीवारों पर दर्शाया गया है यह मानव सभ्यता के सबसे शुरुआती बसावट के साक्ष्य मिलते है इसके ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए इसे 2003 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई।
FAQ:-
कैसे मिलती है विश्व धरोहर की पहचान…
इसके अंतर्गत प्रमुख रूप से तीन श्रेणियां है जिनके अंतर्गत धरोहर स्थल की मान्यता दी जाती है।
प्राकृतिक स्थल:
प्राकृतिक महत्व के स्थलों को यह पहचान दी जा सकती है अगर उस क्षेत्र की जैव विविधता एवं पारिस्थितिकीय में विशिष्ट जीव जंतु और वन्यजीव रहवास करते हो। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के कारण इस सूची में शामिल है।
सांस्कृतिक स्थल :
इस के तहत मानव निर्मित इतिहासिक महत्त्व की रचनाएं शामिल की जा सकती है। बशर्ते उनकी स्थापत्य कला को सांस्कृतिक महत्त्व प्राप्त हो उदाहरण.
आगरा का ताजमहल ,
साँची के बौद्ध स्तूप ,
एलोरा की गुफाएं ,
दिल्ली का क़ुतुब मीनार ,
ओडिसा का कोकर्ण मंदिर
इसके प्रमुख उदाहरण है।
मिश्रित स्थल: ….
इस सूची के अंतर्गत दोनों प्राकृतिक और सांस्कृतिक महत्व की धरोहरों को शामिल किया जाता है।
भारत में कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान प्राकृतिक और सांस्कृतिक महत्व की एकमात्र विश्व धरोहर स्थल के रूप में विख्यात है।
भारत मे कितने है ऐसे स्थल ..
यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त भारत में कुल 42 स्थल है, जिसमें
34 सांस्कृतिक महत्व की,
7 प्राकृतिक महत्व की
और एक मिश्रित श्रेणी में सम्मिलित है ।
