जामेश्वर शिव मंदिर का रहस्य: मंदिर की छत पर लगा बिना जड़ का पेड़, फल भी शिवलिंग जैसा
सावन का महीना शुरू हो चुका हैं और हर एक भक्त शिव भगवान की आराधना में लीन हो गया है, सावन के महीने को हिंदू धर्म में विशेष माना गया है.
इसी सावन के महीने में हम आपको आज एक ऐसे मंदिर के बारे में बतायेंगे….
जहां यह शिव मंदिर वैज्ञानिक को भी चुनौती दे रहा हैं. जी हाँ ऐसा इसलिए कि अभी तक कोई भी वैज्ञानिक इस मंदिर की छत पर लगे पेड़ की जड़ को ढूंढ नहीं पाया है.
यह मंदिर मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में है, इसे जामेश्वर शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है.
जामेश्वर शिव मंदिर का रहस्य: आइए जानते हैं क्या हैं इस मंदिर का रहस्यमयी इतिहास
ये रहस्यमयी मंदिर मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के कटंगी तहसील की ग्राम पंचायत जाम में हैं. बताया जाता हैं की यह मंदिर दसवी शताब्दी का हैं और इस मंदिर के कुछ ऐसे रहस्य हैं जिसे विज्ञान भी अभी तक उजागर नहीं कर पाया हैं आइए जानते हैं
क्या हैं रहस्य?
जामेश्वर शिव मंदिर की छत पर एक पेड़ लगा हैं जो की मंदिर के निर्माण से ही हैं और हैरान करने वाली बात ये हैं की इस पेड़ की जड़ो का अभी तक किसी को पता नहीं हैं, ना मंदिर में रहने वाले पुजारी को और ना ही आस पास के रहवासी
ये पेड़ कैसे खड़ा हैं?
यह बात भी हैरान करती हैं क्यूंकि इसकी जड़ दिखाई नहीं देती हैं चाहे मौसम जैसा भी हो आंधी तूफान या तेज बारिश यह पेड़ जैसा पहला था वैसा का वैसा ही हैं ।
कई वैज्ञानिक और पुरातत्व शोध संस्था की टीम भी इस पेड़ की जांच कर चुकी हैं लेकिन अभी तक इसकी जड़ो को लेकर ना वो पता कर पाए हैं और और नहीं कुछ मालूम चला है.
“जामेश्वर शिव मंदिर की खासियत क्या है?”
पेड़ पर लगते हैं शिवलिंग के आकृति जैसे फल

बिना जड़ का पेड़ वाला मंदिर: कहा जाता हैं की इस पेड़ के फल जब पक जाते हैं तो उसमे शिवलिंग के समान आकृति दिखाई देती हैं. आसपास कहीं भी ना तो ऐसा कोई पेड़ हैं और ना ही ऐसे पेड़ की प्रजाति.
क्या सच में बिना जड़ का पेड़ संभव है?
इस मंदिर की मान्यता हैं की इस पेड़ पर लगे फल हर किसी को खाने के लिए नहीं मिलते हैं मतलब की हर किसी के भाग्य में नहीं होते हैं.
आने वाली आफतों से बचाते हैं जामेश्वर शिव?

गांव वालों का कहना है कि जामेश्वर शिव उनके गाँव की रक्षा करते है, ऐसे कई बार देखा गया हैं और इस उदाहरण कोरोना में देखने को मिला था जब पूरी दुनिया कोरोन जैसे महामारी की चपेट थी तब इस गाँव में एक भी मरीज कोरोना का नहीं था.
कई राज्यों की श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं
बताया जाता हैं कई साल पहले जब बारिश से आई बाढ़ भी इस मंदिर तक नहीं पहुंच पाई थी इस मंदिर की आकृति जैसे दसवी शताब्दी के जैसे ही दिखती हैं और इस मंदिर के दर्शन के लिए मध्य प्रदेश के अलावा भी कई राज्यों की श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं और शिवरात्रि में यहां मेला लगाया जाता हैं और श्रावण के महीने भी भक्तों की भीड़ मंदिर में उमड़ती हैं.